कोयले में मिलावट का खेल बदस्तूर जारी..आखिर क्यों नही होती कार्यवाही❓
प्रशासनिक अधिकारी बन रहे तमाशबीन पर्दे के पीछे की क्या है कहानी❓
बिलासपुर
{समाचार विला} आज हम एक बार फिर आपको इस नए गोरख धंधे के नए अध्याय की गाथा का पूरा सच बताने ले चलते है एक ऐसी जगह जो कि है तो न्यायधानी और राजधानी के एक दम मध्य में ही परंतु यहाँ न्याय व्यवस्था पूरी तरह से एक कोल माफिया अथार्त कोयले में मिलावट के काले धंधे में लिप्त एक व्यक्ति के इशारे पर पूरे पुलिस प्रशासन की कार्यवाही चलती है। हिर्री थाने के पास खरकेना कोल डिपो में कोयले में मिलावट का खेल खुलेआम चल रहा है और ऐसा नही की इसकी जानकारी प्रशासन को नही लेकिन फिर भी इस गोरख धंधे का खेल पुलिस अधिकारी और माइनिंग अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। इस असंवेधानिक कृत्य की पूर्ण जानकारी आपको बताते चले की बिलासपुर से रायपुर हाइवे से लगे लगभग 20 किलोमीटर की परिधि में लगे खरकेना ग्लास फैक्ट्री के पीछे कोल डिपो स्थित है जिसमें एक कोल डिपो के संचालक द्वारा रात के अंधेरे में कोयले में काली जीरो गिट्टी का मिश्रण कर विक्रय किया जा रहा है जोकि एक कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है जिससे शासन और उद्योगपतियों को भारी नुकसान हो रहा है । यहाँ बताने वाली बात ये है कि इस इस सारे गोरखधंधे में पुलिस अधिकारियों और माइनिंग अधिकारियों की पूर्ण रजामंदी से इस बड़े ऑर्गेनाइजर को अंजाम दिया जा रहा है। ज्ञात हो कि पूर्व में भी इस तरह के गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है लेकिन कार्यवाही के नाम पर खाली पन्नों में की गई कार्यवाही दिखती है जोकि बहुत ही नॉमिनल सजा के रूप में अथवा हर्जाने के रूप में देकर थाने से ही आरोपी को चलता कर दिया जाता है कई महीनों से इस धंधे में लिप्त लोगों को रोजाना एक मोटी रकम आवक के रूप में मिल रही है जिससे उनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं ना पुलिस का डर और ना ही माइनिंग का डर वे निडर होकर यह गोरखधंधा बदस्तूर चलाए जा रहे हैं शासन प्रशासन की नजर के सामने ही इस सारे खेल को अंजाम दिया जा रहा है तथा अधिकारी
मूक- चुप्पी साधे हुए है इससे तो यह जाहिर होता है कि यह सब मिलीभगत का ही खेल है क्या प्रशासन को इस तरह के असंवेधानिक धंधे पर लगाम लगाने की आवश्यकता नहीं है? या फिर ऊपरी कमाई से आने वाली रकम की इनको लत पड़ गई है इसलिए वे सब जानते हुए भी इस तरह के गोरखधंधे पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं सोचिए.. यह काम बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे से लगे खरकेना में धड़ल्ले से चल रहा है जोकि शासन प्रशासन की कार्यशैली पर कई प्रश्न खड़े करता है? आखिर क्यों ? और तो और साहब यहां तो कोई बोलने वाला नहीं सूत्रों की माने तो यहां पर यह मिलावट कई टनों में 400 से 500 टन की मिलावट रोज की जा रही है अब यदि इस गोरखधंधे मैं आवक का आकलन किया जाए तो वर्तमान में 1 टन कोयला ₹5000 में आता है और यदि 400 टन रोज उसमें काली जीरो गिट्टी मिक्स कर दी जाए तो लाखो रुपए रोज की काली कमाई है प्रतिदिन अब इतनी बड़ी रकम यदि किसी व्यक्ति को घर बैठे मिल जाती है तो वह भला इस धंधे को चलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर क्यों नहीं लगाएगा सारे थानों में उसके द्वारा सर्व सुविधाएं प्रधान की जाती हैं ताकि वहां से गुजरने वाली पेट्रोलिंग गाड़ियां व पुलिस अधिकारी तथा माइनिंग अधिकारियों की आंखों पर काले चश्मे की तरह पट्टी बँधी रहे ताकि वे कोई कार्यवाही ना करें अब इसमें लिप्त मजदूर जो मालिक के चेहरे पर यह मिलावट का खेल करते हैं वह भी इतने भरोसेमंद होते हैं उनके कि वह अपना मुंह नहीं खोलते । परंतु हमारे विश्वसनीय सूत्रों से हमें जो जानकारी मिल रही है वह बेहद ही खतरनाक है इस तरह का मिलावट का खेल कई महीनों से जारी है और इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है अब देखने वाली बात यह है कि इस तरह से गोरख धंधे पर आखिर लगाम सरकार लगा पाती है या की नही ये तो आने वाला वक्त ही बता सकता है पर हमारी मुहीम इस काले गोरख धंधे पर निरंतर चलती रहेगी और इस मिलावट के खेल पर तब तक हम लिखते रहेंगे जब तक इस गोरख धंधे का पर्दाफाश नही हो जाएगा ये हमारा पार्ट 1 है यदि शीघ्र ही इस पर कार्यवाही नही की जाती है तो हम पुनः इस विषय पर अपनी बेबाकी का परिचय देते रहेंगे और हम अगले एपिसोड में इस पूरे खेल से जुड़े उस सफेद पोश व्यक्ति का नाम भी उजागर करेंगे क्रमशः…