निजात अभियान ठंडे बस्ते में,चोरी छिपे छत्तीस हजार रुपए किलो(36000) बिक रहा गांजा,मूल्य का गलत आंकलन करता है विभाग,अमृतकाल का आनंद उठा रहे माफिया

 

बिलासपुर

 

बिलासपुर क्षेत्र के रेलवे स्टेशन के पास गांजा बिक्री करने वालों को पकड़ कर पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन उन्हें पता नहीं है कि शहर में ही माफियाओं की बाढ़ आ गई है,ऐसा नहीं है कि पिछड़ी बस्तियों में गांजा का नशा करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है,शहर के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पुलिस के नाक के नीचे हुक्काबार चल रहे हैं,नौ जवान बच्चे अब बुरी तरह गांजा के नशे की गिरफ्त में हैं।दिखावे की कारवाई से माफियाओं के बीच कुछ हलचल जरूर होती है लेकिन दो चार दिन में ही माहौल उनके अनुकूल हो जाता है।जिससे उनका धंधा फलता फूलता रहता है।पहले ग्रामीण क्षेत्र में ही गांजा पीने वालों की संख्या में वृद्धि थी,अब तो शहर के कई ऐसे सुनसान क्षेत्र हैं जहां शहरी बच्चे सुटटा लगाते देखे जा सकते हैं।ज्यादातर बच्चे रईस खानदान के हैं,वो भी ज्यादातर ऐसे बच्चे जो पढ़ाई करने बिलासपुर के हॉस्टल में रहते हैं।ये नौजवान ही इन माफियाओं के प्रमुख ग्राहक हैं,कुछ दिन तो इन्हे फ्री में गांजा उपलब्ध कराया जाता है,फिर मोटी रकम वसूल कर गांजा की पुड़िया दी जाती है।तात्कालीन पुलिस अधीक्षक ने निजात अभियान में खूब पसीना बहाया लेकिन अब उस अभियान की लौ धीमी पड़ गई है।पकड़ी गई गांजा खेप की कीमत आंकलन अभी भी पुलिस विभाग लगभग साढ़े तीन गुना पीछे है, जबकि शहर और आसपास के क्षेत्र में विभागीय अनुमान से लगभग साढ़े तीन गुना ज्यादा में गांजा की बिक्री हो रही है।फिलहाल जरूरत है एक बार फिर निजात अभियान को गंभीरता से चलाने की ताकि नौ जवानों को इस नशा से बचा सके

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