पापा की परी अभी जीना चाहती थी..मगर रास्ते में हो गई मौत

लखनऊ

वह अपने पापा की प्यारी परी थी और मां का ममत्व…मम्मी और पापा उस पर अपनी जान छिड़कते थे। वह अभी 10वीं की छात्रा थी। अभी उसकी उम्र ही क्या थी….महज 17 वर्ष। पापा की परी अपने सपनों के संसार में उड़ना चाहती थी…अभी तो उसे दुनिया देखना था। उसे अपनी सहेलियों के साथ हंसी-ठिठौली करने में ही मजा आता था। जब वह स्कूल से आती तो आंगन चहक उठता। घर में खुशियों की तरंग दौड़ जाती। उसके बड़े अरमान थे। पढ़-लिखकर यह बनूंगी, वह बनूंगी। मम्मी के लिए ये खरीदूंगी तो पापा के लिए वो खरीदूंगी। जब घर में ऐसी बातें करती तो मम्मी और पापा अपनी प्यारी गुड़िया को सीने से लगाकर भावुक हो जाते।

वह अभी जीना चाहती थी। दो वर्षों से चल रहे कोरोना के चलते स्कूल कभी खुलते तो कभी बंद हो जाते। लिहाजा वह अपनी किशोरावस्था का पूरा आनंद नहीं ले पा रही थी। सहपाठियों से के साथ से महरूम थी। सरकार ने किशोरों के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया तो लगा चलो अब टीका लग जाएगा तो फिर स्कूल खुलेंगे। अपनी सहेलियों से मिलेंगे। पढ़ाई करेंगे और बड़े होकर अपने पापा -मम्मी के अरमानों को पूरा करेंगे। उसमें जिंदगी जीने की लाजवाब ललक थी.. मंगलवार को वह कोरोना की वैक्सीन लगवाने स्कूल जा रही थी। ताकि कोरोना से मौत का डर खत्म हो जाए, लेकिन यह मंगल उस परी के लिए अमंगल साबित हो गया। वह अभी गुडंबा इलाके की बेहटा बाजार में पहुंची ही थी कि तेज रफ्तार दुग्ध टैंकर ने उसकी साइकिल में टक्कर मार दी। इस हादसे में छात्रा पिंकी गौतम की मौत हो गई। हादसे में एक अन्य छात्रा घायल हो गई।

 

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