🔴Bilaspur News: भू-माफिया ने बेखौफ तालाब मे कैसे बना दिए रामा मेग्नेटो मॉल…
🔴मिट गया तालाब सोए रहे जिम्मेदार❗
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बिलासपुर
🔴सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का उल्लंघन करने का एक बड़ा मामला बिलासपुर में सामने आया है। तालाब को पाटकर उस भूमि उपयोग बदलकर यहां पर रामा बिल्डकॉन के राजेश अग्रवाल उर्फ बुतरु और उनके परिवार ने रामा मैग्नेटो मॉल बना दिया है। तालापारा की जिस जमीन पर कभी तालाब हुआ करता था अब वहां पर मैग्नेटो मॉल नजर आ रहा है। तालाब को किस आधार पर पाटा गया, भूमि उपयोग कैसे बदला गया देखिए राष्ट्रीय जगत विज़न की खास रिपोर्ट….
🔴क्या है मैग्नेटो मॉल के खिलाफ
याचिका
3.5 लाख स्क्वायर फीट में बने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े मॉल में से एक बिलासपुर के मैग्नेटो मॉल के खिलाफ रायपुर के रोहित राठौर ने याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि बिलासपुर का मैग्नेटो मॉल तालाब की जमीन पर बना दिया गया है। जिसकी वजह से इलाके का वाटर लेवल नीचे गिर गया है।
याचिकाकर्ता रोहित राठौर ने अपने वकील अर्जित तिवारी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी जल स्रोत पर निर्माण या उसके स्वरूप से छेड़छाड़ पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है। ऐसे में मॉल के निर्माण के दौरान जिला प्रशासन की ओर से अनदेखी का आरोप अपनी याचिका में लगाया है।
🔴क्या है मामला
श्रीकांत वर्मा मार्ग बिलासपुर पर स्थित रामा मेग्नेटो माल का निर्माण शासकीय भूमि एवं तालाबों पर कब्जा करने तथा संबंधित अधिकारियां, कर्मचारियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र करते हुए सूरितराम पिता माखनलाल द्वारा दीवानी मुकदमा नंबर 49-अ/91 तथा निर्णय दिनांक 20.04.1992 को पारित आदेश मे राजस्व विभाग का कूटरचित खसरा पांचसाला प्रस्तुत कर भिन्न-भिन्न लोगो को टुकड़ों मे विक्रय करने की जांच कर तालाब की सुरक्षा करने बाबत् । शिकायत की थी
अद्वितीय विषयांतरगत के सुसंगत तथ्य सादर प्रस्तुत है:-
1. यह कि प्रश्नाधीन भूमि मौजा जूना बिलासपुर, पटवारी हल्का नं. 22/34, रा.निम तहसील व जिला बिलासपुर मे स्थित खसरा नं. 734 रकबा 1.94. एकड़ भूमि शासन तालाब है। सन् 1928-29 के बंदोबस्त खसरा मे उक्त तालाब का भूमि स्वामी नाम नु भागीरथी लंबदरार दर्ज है और कब्जेदार के कालम में भंगू मरहठा दर्ज है। उक्त तालाब बी-1 किश्तबंदी खतौनी मौजा जूना बिलासपुर सन् 1954-55 के पहले ही शासन का हो गया था और मु. भागीरथी लंबरदार या उसके रिश्तेदारों या उनके किस ‘वारिसानों के द्वारा कभी कोई आपत्ति भी नही किया गया इस प्रकार वह तालाब राज्य ‘शासन के कब्जे, आधिपत्य एवं स्वामित्य मे अविवादित रूप से राजस्व अभिलखो म नीचे मद मे दर्ज होकर वर्षो से चला आ रहा है।
यह कि उक्त शासकीय तालाब मौजा जूना बिलासपुर, प.ह.न. 22, रा.नम तहमाल जिला बिलासपुर मे खसरा नंबर 734 रकबा 1.94 एकड खसरा पांचसाला वर्ष 1984-85 से वर्ष 1988-89 तक एवं खसरा पांचसाला वर्ष 1989-90 से वर्ष 1993-94 नीचे नजूल म.प्र. शासन दर्ज चला आया है उक्त तालाब को हडपने के लिए स सतनामी वल्द माखन सतनामी ने अपने पिता माखन सतनामी वल्द सनारू सतनानी एव म.प्र. शासन को औपचारिक पक्षकार बनाते हुए एक व्यवहार बाद न्यायालय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-02 बिलासपुर के न्यायालय मे ‘स्वत्व की घोषाणा एन स्थायो निषेधाज्ञा’ का वाद संस्थित किया जिसका दीवानी मुकदमा नंबर 49-31/31
निर्णय दिनांक 20.04.1992 को पारित किया गया। सूरितराम सतनामी ने वास्तविकः तथ्यों को छिपाते हुए अपने वाद पत्र में उल्लेख किया है कि प्रश्नाधीन वादभूमि प्रारना से निजी भूमि रही है जो सिलिंग नियमों के अंतर्गत नहीं आती है न ही उनके बाबत कोई सिलिंग प्रकरण चला है, और न ही लंबित है, इसलिए धारा 09 सिलिंग और एग्रीकल्चर व ओव्हींग एक्ट 1961 के प्रावधान लागू नहीं होते फिर भी इस व्यवहार घाट प्रकरण मे म.प्र. शासन को मूल वाद के अंतर्गत पक्षकार बनाया गया है जबकि वास्त मे उक्त प्रश्नाधीन भूमि शासकीय तालाब पानी के नीचे तथा राज्य शासन के आधिपत्र तथा स्वामित्व की है वादी सूरितराम के द्वारा वास्तविक तथ्यों को वाद ‘पत्र ने छिपाने क कारण पेशी दिनांक पर शासन की ओर से कोई उपस्थित नही होने के कारण शासन के विरूद्व एकपक्षीय निर्णय पारित किया गया जिस पर वादी सूरितराम सतनामी ने तालाब के नामांतरण हेतु तहसीलदार के समक्ष आवेदन देने व निरस्त होने से सूरितत्सम ने न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी बिलासपुर के समक्ष राजस्व अपील 5/अ-6/1992-93 के अनुसार उक्त तालाब को पानी के नीचे नजूल म.प्र. शासन खसरा पांचसाला मे दर्ज होने के कारण दिनांक 17.03.1993 को कालम न. 18 खतरा पांचसाला मे पुनः घोषित दर्ज किया गया है जो खसरा पांचसाला वर्ष 1989-90 से1993-94 में ही अंकित है। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी महोदय के आयश तहत् खसरा नं. 734 रकबा 1.94 एकड़ की तालाब शासकीय है और राज्य शासन के आधिपत्य व स्वामित्व मे चला आ रहा है उक्त तालाब को अन्य मद मे निर्माण के लिए परिवर्तित किया जाना भू-राजस्व नियमों प्रावधान के विपरीत है, जिससे राजरद न्यायालय नजूल अधिकारी बिलासपुर के रा.प्र.कं 111/अ-6/1993-94 आदेश दिनाक 15.06.1994 के तहत् सूरितराम. पिता माखन सतनामी तालापारा बिलासपुर के नक्ष पारित नामांतरण आदेश अवैध है। इस प्रकार फर्जी अतिक्रमणकारी माखन सहधनानी अन्य व्यक्ति के पास बिक्री करने का कोई हक व अधिकार कभी भी नही रहा है।
यह कि सूरितराम ने राजस्व दस्तावेजों में कूटरचना एवं हेरा-फेरी कर न्यायालय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-02 बिलासपुर के निर्णय दिनांक 20.04.1992 जो कि व्यवहार वाद क्रमांक 49/अ-91 के रूप मे दर्ज है, मे पारित निर्णय मे दस्तावेजा न प्रस्तुत बंदोबस्त खसरा मौजा जूना बिलासपुर सन् 1928-29 मे खसरा नंबर 727 से 730 तक जो कि राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. मे कांट-छांट करते हुए खसरा नंबर 730. को काट छांट कर 730/2 रकबा 3.50 एकड़ की कूटरचना की गई तथा खसरा नंबर 730 को कांट-छांट कर 734 बनाकर आपराधिक अपरूपण किया गया और तथ्यों को छिपाते हुए 1933 में 28.
में भंगू मरहट्ठा से क्रय करने वाले दस्तावेज मे मालगुजार किसी फर्जी गणपतराम का उल्लेख कूटरचित दस्तावेज में प्रस्तुत किया जबकि ग्राम जूना बिलासपुर के
मालगुजार भागीरथी बाई शेष मालगुजार का नाम बंदोबस्त दस्तावेज में आज भी दाखिल है। इसी प्रकार सूरितराम को यदि मालगुजार द्वारा भी एक बार ही विकल्प निलंगा निष्पादित की जाती तो उसे सर्वप्रथम पट्टादवामी की कार्यवाही पंजीयक कार्यालत की जाती और सर्वप्रथम भूमि को मुक्त करने की कार्यवाही किये जाने का मालगुजारा अधिनियम मे प्रावधान है और पुनः केता के पक्ष मे विक्रय करने के दस्तावेज मालगुजार द्वारा निष्पादित किये जाने का प्रावधान कानूनन मान्य रहा है जबकि फजी व्यजिल सूरितराम द्वारा 1933 के दस्तावेज को 1991-92 मे प्रस्तुत कर विक्रेता भंगू मरहट्ठा बताया है जबकि वह कब्जेदार रही है विक्रय का प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता साथ सूरितराम के परदादा द्वारा भूमि कय किया जाना इसलिए भी कूटरचित है क्योंकि उरूर परदादा ने जीवनकाल में कभी कोई शिकायत अथवा वाद इस तालाब को हथियाने लिए प्रस्तुत ही नही किया है तथा स्वयं सूरितराम के परिवार में उसके पांच भाईरहे अलावा अन्य सगे संबंधी का भी अंश सिविल वाद में उत्पन्न होता है किंतु किन्हीं संबंधियों को प्रतिवादी नही बनाया गया जिससे प्रारंभ से ही सूरितराम द्वारा छल-कपट की प्रवंचना से व्यवहार वाद तालाब को हथियाने को प्रस्तुत किया गया है।
यह कि उक्त शासकीय तालाब में आस-पास के लोगों का आम निस्तारी होता चला आ रहा था एवं उसमें सिंचाई, मवेशियों को पानी पिलाने, नहलाने, धोने के साथ अब निस्तार के उपयोग किया जाता रहा है, तालाब को पाट देने या उसमें व्यवसामिक परिसर का निर्माण होने से निस्तार की समस्या हो रही है और लोगों को निस्तार के लिए भटकना पड़ रहा है। माननीय उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोट) के बनाये उस प्रावधान का भी उल्लंघन हो रहा है. जिसके अनुसार किसी तालाब प्राकृतिक संसाधन के स्वरूप मे बदलाव नही किया जा सकता। इस संबंध में राजस्थ प्रपत्रों मे भी उल्लेख है कि जमीन का हस्तांतरण या आबंटन प्रतिबंधित है अतः उपरावत परिप्रेक्ष्य मे बिलासपुर शहर के भीतर या बाहर के शासकीय या गैर शासकीय तालाद को नही पाटा जावे तथा तालाब के स्वरूप में परिवर्तित भी नही किया जा सकत नही तालाब मे व्यवसायिक परिसर का निर्माण ही किया जा सकता। पूर्व न शिकायतकर्ता पंचराम सूर्यवंशी पार्षद जरहाभाठा ने इसी बिन्दु पर वर्ष 2008 में एक शिकायत प्रस्तुत की थी जिसे बिना गुण-दोष के आधार पर परिसीमा के आधार पर न्यायालय ने खारिज कर दिया। विद्वान अनुविभागीय अधिकारी बिलासपुर द्वारा गरित आदेश दिनांक 14.03.2008 निरस्त किये जाने योग्य है साथ ही संयुक्त संचालक, नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालय बिलासपुर के प्र.कं 1066 / न.ग्रा.नि./08 बिलासपुर सिन् 10.03.2008 द्वारा व्यवसायिक प्रयोजन हेतु ले-आउट नक्शा अनुमोदित भी निरस्त किय जाने योग्य है।
कि आवेदक / शिकायतकर्ता के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत बिलासपुर स्थित रामा मेग्नेटो माल के विकास अनुज्ञा के दस्तावेजों प्राप्त किये गये। जिसके उपरांत उपरोक्त दस्तावेजो का सूक्ष्म रूप से अवलोकन एवं तकनीकी अवलोकन किया गया जिसमें कि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियमों उल्लांघन, शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा, शासकीय तालाबों पर अवैध रूप से एवं राजस्व रिकार्ड अनुसार पंचनामा, सीमांकन, स्थल निरीक्षण अनुसार लगभग ७.३८
1 एकड़ जमीन पर अवैध निर्माण किया गया है।
यह कि आवेदक/शिकायतकर्ता के द्वारा नगर निगम बिलासपुर सहित विभिन्न सरकारी पदाधिकारियों के समक्ष समय-समय पर विभिन्न शिकायतें की गई है किंतु शिकायतों पर कार्यवाही किये जाने की कोई जानकारी शिकायतकर्ता को प्राप्त नहीं हुई है जिसस स्पष्ट है कि आरोपीगण के प्रभाव में आकर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
अगली कड़ी मे देखिए कैसे कार्यालय संयुक्त संचालक नगर निवेश तथा ग्राम निवेश बिलासपुर द्वारा रामा कृष्णा डेवलपमेंट एंव अन्य साझेदारोको मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट के विकास करने अनुज्ञा जारी की गई। और अनुज्ञा प्राप्त के बाद डेव्हलपर्स एवं अन्य पार्टनरों के द्वारा जमा दस्तावेजों के 22 बिंदु मे क्या है देखिए।